(AFFILIATED TO R.M.L AVADH UNIVERSITY FAIZABAD, UTTAR PRADESH)
जगत् विधाता ईश्वर ने भारत वर्ष व भारतीय संस्कृति को वह आलौकिक शक्ति प्रदान कर दिया है कि भारत वर्ष एवं भारतीय संस्कृति अपने विलक्षण प्रकाश से स्थान विशेष को प्रकाशित करने हेतु किसी कारण विशेष की अपेक्षा रखते हैं, ऐसा कदाचित ही सम्भव हो सकता है, क्योंकि ये दोनें ही अपने ओज विशेष के विस्फुरण का स्थान स्वयमेव चयनित कर लेते हैं। यह भारत एवं भारतीय संस्कृति शक्ति युगल का ही विमल स्थल चयन था कि मुझे अपने पूज्य पिता श्री के उस स्नेहि ममत्व का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसके परितः भक्ति, ज्ञान एवं सभ्यता के ज्योतिष्मान नक्षत्रों का प्रकाश पुंज अहर्निश प्रभासित हो रहा था। विद्यालय, शिक्षा, अनुशासन , त्याग तथा अन्यान्य वैशिष्ट्य मैने बाल्यकाल से अनुभव किया है तथा विद्यालय व्यवस्थापन एवं प्रबंधन श्रद्धेय गोलोकवासी पिता जी से प्रत्यक्ष किया है, तथापि आदरणीय गुरूजन एवं शुभ चिन्तकों के विचार एवं परामर्श को में सादर स्वीकार करते हुए आत्म तुष्टी तथा गौरव का अनुभव करता हूँ। मैं सम्प्रति विद्यार्थी जीवन से सम्बद्ध होते हुए इस उक्ति में सत्यता देखता हूँ- “ ज्ञानं मनुजस्य तृतीय नेत्रम् ” तथापि यह विचार अक्षरशः सत्य है कि इस तृतीय नेत्र (ज्ञान चक्षु) को उद्घाटित करने के लिए छात्र तथा छात्रओं को अनुशासित एवं आचरण युक्त साधना करनी पड़ती है तथा साधना की सिद्धी निश्चित रुप में प्रत्येक छात्र तथा छात्रा को स्वयं का भाग्य विधाता बनाने की सक्षमता प्रदान करती है। सन् 2003-04 में स्थापित तथा शैक्षिक एवं वैज्ञानिक प्रतिभाओं के उन्नयन में अनवरत सक्रिय मंगला देवी पाण्डेय स्मारक महाविद्यालय सोठिया-मोतीगंज गोण्डा आप छात्र/छात्रओं से हमारी अपेक्षा यह है कि आप सभी शिक्षा ग्रहण करें तथा शिक्षा का प्रसार कर राष्ट्र निर्माण में सहायक बनें यहाँ यह ध्यातव्य है कि हमारा उद्देश्य अंक पत्र बांटना न होकर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षाप्रदान करना एवं राष्ट्रीय विकास व राष्ट्र निर्माण में सहयोग करना है। अन्त में सभी छात्र-छात्रओं तथा अभिभावक बन्धुओं से निवेदन करना है कि महाविद्यालय में अत्यधिक व्यवस्तता के कारण विद्यालय प्रबन्धन में त्रुटि होना असंभव नहीं है अतः यदि आप सभी को कोई असुविधा हो तो कृपया उसे अपने तक ही सीमित न रखें तथा प्रबन्ध तन्त्र को अवश्य अवगत करायें हम सभी के सहयोग से ही समाज व क्षेत्र में उस आदर्श की स्थापना कर सकेंगे जिसके अन्तर्गत हम समाज में “ सत्यम शिवम सुन्दरम् “ की स्थापना करना चाहते हैं।